विभिन्न रोगों में मोरिंगा या सहजन का प्रयोग Uses of drumstick in different disease

मोरिंगा या सहजन (Drumstick) को सुपरफूड माना जाता है क्योंकि इसका हर हिस्सा—पत्तियां, फलियां, फूल, बीज और छाल—अनेक पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह कई बीमारियों में बहुत उपयोगी है।

मुख्य पोषक तत्व

- ऊर्जा: 37 किलोकैलोरी प्रति 100 ग्राम

- प्रोटीन: 2.1 ग्राम

- वसा: 0.2 ग्राम

- कार्बोहाइड्रेट: 8.53 ग्राम

- फाइबर: 3.2 ग्राम

- विटामिन C: 141 मिलीग्राम

- कैल्शियम: 30 मिलीग्राम

- पोटैशियम: 461 मिलीग्राम

- आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर, थायमिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6, फोलेट, विटामिन E और K भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं

यहाँ प्रमुख बीमारियाँ जिनमें मोरिंगा लाभ पहुँचाता है, और इसके सेवन के तरीके दिए गए हैं:

1. किन-किन बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं में मोरिंगा काम करता है?

मोरिंगा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन-रोधी), एंटी-डायबिटिक और एंटी-कैंसर गुण इसे कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद बनाते हैं:

| बीमारी/समस्या | मोरिंगा के लाभ (कारण) |

|---|---|

| मधुमेह (Diabetes) | यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है और इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाता है। |

| उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) | इसमें मौजूद बायोएक्टिव यौगिक धमनियों को मोटा होने से रोकने में मदद करते हैं और रक्त परिसंचरण को सुधारते हैं। |

| उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग | यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा कम होता है। |

| गठिया और जोड़ों का दर्द | इसके शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं। |

| पाचन संबंधी समस्याएं | फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कब्ज, गैस और एसिडिटी से राहत दिलाता है। इसकी पत्तियां पेट के अल्सर में भी लाभ पहुँचा सकती हैं। |

| लिवर की समस्याएँ (Fatty Liver) | यह लिवर को डिटॉक्सिफाई (विषमुक्त) करने और फैटी लिवर रोग में सूजन को कम करने में मदद करता है। |

| कैंसर | इसमें नियाजिमिनिन (Niaziminin) जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में कुछ हद तक मदद कर सकते हैं। |

| कमजोरी और एनीमिया (Anemia) | आयरन, विटामिन A और अन्य पोषक तत्वों की अधिकता के कारण यह हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारता है और शारीरिक कमजोरी दूर करता है। |

| अस्थमा और श्वसन रोग | इसकी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण अस्थमा के लक्षणों (जैसे खांसी और घरघराहट) को कम करने में सहायक होते हैं। |

| रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) | विटामिन C, A और E से भरपूर होने के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत मजबूत बनाता है। |

2. मोरिंगा/ड्रमस्टिक का सेवन कैसे करें?

मोरिंगा का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है, जिससे आप इसके अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें:

| मोरिंगा का हिस्सा | सेवन का तरीका |

|---|---|

| पत्तियां (ताज़ी) | सब्जी या दाल में: पालक की तरह इस्तेमाल करें या बारीक काटकर दाल में मिलाएँ। चाय/काढ़ा: पत्तियों को पानी में उबालकर चाय की तरह पी सकते हैं। जूस: ताज़ी पत्तियों को पीसकर थोड़ा पानी मिलाकर सुबह खाली पेट जूस पिएँ। |

| पत्तियां (सूखी/पाउडर) | पाउडर: मोरिंगा पाउडर (बाज़ार में उपलब्ध) को सुबह खाली पेट पानी, जूस, स्मूदी या दही में मिलाकर लें। 1/2 से 1 चम्मच पाउडर पर्याप्त होता है। |

| फलियां (ड्रमस्टिक) | सब्जी या सांभर: इसकी फलियों को काटकर दाल, सांभर, या सामान्य सब्जी के रूप में पकाकर खाया जाता है। यह दक्षिण भारतीय व्यंजनों का एक लोकप्रिय हिस्सा है। |

| फूल | सब्जी या भुरजी: इसके फूलों की भी स्वादिष्ट सब्जी या भुरजी (अंडा/पनीर की तरह) बनाई जाती है। |

| बीज | तेल: इसके बीजों से प्राप्त तेल (बेहन तेल) का उपयोग खाना पकाने या त्वचा पर लगाने के लिए किया जाता है। सीधे खाना: बीजों को कुछ लोग भूनकर या उबालकर भी खाते हैं। |

विशेष नोट:

 * किसी भी बीमारी के इलाज के लिए मोरिंगा का उपयोग करने से पहले चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

 * गर्भवती महिलाओं को इसकी जड़, छाल या अधिक मात्रा में अर्क का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

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